नॉर्मल डिलीवरी चाहती है ?, प्रेगनेंसी में इन बातों का रखे खास ख्याल.
प्रेग्नन्सी, औरत से मां बनने का एक पड़ाव है जिससे हर महिला को गुजरना पड़ता है। हालांकि यह 9 महीनों का समय हर महिला के लिए काफी कष्टदायी होता है लेकिन इसके बाद वो अपना मातृत्व को एंजॉय करती है। डिलीवरी इसी एक पड़ाव का हिस्सा होता है। जिससे हर महिला को होकर गुजरना पड़ता है।
हालांकि कुछ महिलाएं सीजेरियन सेक्शन के बजाय नॉर्मल डिलीवरी चाहती है लेकिन कुछ कॉम्पीलिकेशन या शारीरिक कमजोरी की वजह से कई बार नॉर्मल डिलीवरी सम्भव नहीं हो पाती है। अभी तक ऐसा कोई तरीका नहीं खोजा गया है जिससे ये पता चल सके कि बच्चा सीजेरियन से होगा या नॉर्मल डिलिवरी से। यदि आप भी नॉर्मल डिलिवरी की इच्छा रखती हैं तो हमें उम्मीद है कि नीचे दिए गए सुझाव आपके काम आएंगे।
भोजन पर दें
ध्यान नार्मल डिलिवरी में आपके शरीर से दो से तीन चार सौ एम.एल. ब्लड जाता है। इसलिए ताकत और पोषण के लिए खाने में ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्व खाएं। प्रेगनेंसी में आयरन और कैल्शियम की बहुत जरुरत पड़ती है इसलिए जितना भी हो सके अपने आहार में इसे जरुर शामिल करें। बच्चे को जन्म देते वक्त आपको बेहद पीड़ा सहनी होती है और यह आसान नहीं होता। अगर आप कमजोर हैं और आप में खून की कमी है तो आपके लिए यह काफी मुश्किल होगा। इसलिए अपने स्वास्थ्य का पूरा-पूरा ध्यान रखें। ताकि आपको उस वक्त कम से कम तकलीफ हो
शरीर में पानी की मात्रा को बरकरार रखें हाइड्रेड रहिए
नॉर्मल डिलीवरी और एक अच्छी प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी है कि आप अपने शरीर में पानी की मात्रा को बरकरार रखें। आपके गर्भाशय में शिशु एक तरल पदार्थ से भरी हुई झोली एमनियोटिक फ्लयूड में रहता है। जिससे बच्चे को ऊर्जा मिलती है। इसलिए आपके लिए रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीना बहुत जरुरी है। इसलिए इस मात्रा को बनाए रखें।
प्रेग्नन्सी में तनाव से दूर रहें
तनाव से दूर रहें तनाव केवल आपकी परेशानी ही नहीं बढ़ाता बल्कि प्रेग्नन्सी में कॉम्पिलिकेशन को भी बढ़ाता है। इसका सबसे अधिक प्रभाव आपके व आपके बच्चे की सेहत पर पडेगा। यदि आपको बेवजह तनाव महसूस हो रहा है तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें और इस व्यवहार के पीछे छुपे वास्तविक कारण को जानने की कोशिश करें।
ब्लड़ प्रेशर मुश्किलें बढ़ा सकता है
गर्भावस्था के दौरान महिला का ब्लड़ प्रेशर मुश्किलें बढ़ा सकता है। हालांकि कई महिलाओं में यह नॉमर्ल होता है लेकिन कई महिलाओं को इस वजह से काफी दिक्कत होती है। ब्लड़ प्रेशर में उतर - चढ़ाव की वजह से मां और बच्चे दोनों पर असर पड़ सकता है। यह गर्भस्थ शिशु की वृद्धि दर को भी प्रभावित करता है और शिशु कम भार वाला हो जाता है। इसलिये सबसे अच्छा यह है कि माँ हर सम्भव प्रयास से उच्च रक्तचाप को नियन्त्रित रखे। यदि रक्तचाप नियन्त्रण की दवायें दी गई हों तो उन्हें लेना न भूलें
डिलीवरी के दौरान आपका वजन न बढ़े
जो महिलाएं ऑवरवेट नहीं होती है उनकी डिलीवरी बहुत ही आराम से होती है। उन्हें कम कॉम्पीलिकेशन और कम मेडिकल सर्जरी या प्रोसेस से गुजरना पड़ता है। इसलिए कोशिश करें की डिलीवरी के दौरान आपका वजन न बढ़े।
पैदल चलना और टहलना
कई महिलाएं बहुत आलसी प्रवृति की होती हैं। जबकि प्रेग्नेंसी में हल्का हल्का चलना फिरना या पैदल चलना बहुत जरूरी होता है। कोशिश करें इससे आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में ज्यादा फर्क न आए। दफ्तर और घर के काम सामान्य रूप से ही करती रहें। पैदल चलना और टहलना आपके लिए अच्छा रहेगा।
योग और व्यायाम योग
योगऔर व्यायाम भी गर्भावस्था के दौरान जरूरी होते हैं। अगर आप प्रेगनेंट होने के पहले से ही रोजाना एक्ससाइज करती हैं, तो नार्मल डिलिवरी होने के चांस बढ़ जाते हैं। गर्भावस्था के दौरान मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए योगा करें। अगर आप चाहें तो घर पर भी एक्सरसाइज कर सकती हैं। लेकिन जहां तक हो सकें कि किसी योगा एक्सपर्ट के निरीक्षण पर ही योग करें।
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